Woman Took Poor Children To Eat In McDonald’s And What Happened Next Is Really Disgusting!
Humanity is the greatest quality that we human beings can ever have, as it’s above all the religions and relations and leaves a never-ending deep effect on the minds of people.
Undoubtedly, it always feels great to do something for others and that feeling is simply heavenly. We never regret doing such acts of kindness and even though we forget what we did, the other person remains thankful to us for the rest of his/her life.
But very often, we come across some incidents which not only fill us with hatred but also force us to think about the existence of humanity in this self-centered world.
Here we present you one such incident which took place with Manisha Kulshreshtha, an Air Force officer’s wife and a writer by profession in Gwalior.
As a kind gesture of humanity, she recently took some poor kids, who happened to be balloon vendors, inside McDonald’s for giving them a treat of fries and burgers. However, your blood will boil to know how mercilessly and horribly she was treated by the manager of the outlet for the kind act.
Yes, you heard it right! This private outlet treated her very badly and the staff was against the entry of those kids inside the outlet and subsequently, the situation got worse when they locked the parking gate and the family of Manisha couldn’t go out of the premises.
Not only this, her car’s no. was noted by the security officer and cops were called too. Later, a policeman named Mukesh commanded them to open the gate and it was then that she and her family were able to go.
We harshly condemn the way in which McDonald’s staff behaved with the woman just because she made an attempt of giving some moments of joy to the poor kids. It’s nowhere written that financially weak people or kids can’t be permitted entry in the premises nor any rule lets manager or staff ill-treat them.
It’s creditable on the part of the woman that she didn’t file a FIR against the outlet’s staff for locking her and her family; nevertheless, she took to Facebook and shared the whole incident so that people can themselves decide and act accordingly.
Below Is Her Facebook Post:
Here is her Facebook post, read the text below:-
ग्वालियर के पत्रकार दोस्तों,, पता नहीं आपके लिए यह स्टोरी है भी कि नहीं पर मैं आपसे बाँटना ज़रूर चाहूंगी। मैं अभी मन पर भारी दुख लेकर डीडी मॉल से लौटी हूँ।
हम डीडी मॉल के मैकडॉनाल्ड में बैठे थे। आपने वहां अकसर बैलून बेचने वाली छोटी लड़कियों को देखा होगा। आज जब हम मैकडॉनाल्ड में खा रहे थे तो मैंने एक बच्ची को झांकते पाया, अवनि ने कहा , पापा उस बच्ची को बर्गर दिला दो।
अंशु ने कहा बाहर जाकर बर्गर क्या देना, उस बच्ची और उसके साथ की दूसरी बच्चियों को जो छ: थीं अंदर बुला ले, वो सम्मान से अंदर बैठ कर खाएं। अवनि उनको बुला लाई। मैंने देखा सारे कस्टमर तो मुस्कुरा रहे थे। मैकडॉनाल्ड के कर्मचारियों का मुंह सड़ गया।
जब तक उन बच्चियों के बर्गर और फ्रेंच फ्राइज़ आए। मैं उनसे बात करने लगी। सब चौथी से पांचवी में पढ़ते थे। उन बच्चियों ने खाना शुरू किया ही था। एक बच्ची बाहर उनके बैलूनों की रखवाली कर रही थी जिसका बर्गर ये बच्चे बाहर जाकर देने वाले थे, उसकी चीख की आवाज़ आई । ये बच्चे अपने अपने बर्गर छोड़ कर लथड़ पथड़ भागे।
मैकडॉनाल्ड वालों ने चुपचाप कॉल करके एक गार्ड को बुलाया था। जिसने बाहर रखे उनके सारे बैलून फोड़ दिये।
मेरा मन खराब हुआ, अंशु को गुस्सा आ गया। हमने और अन्य लोगों ने गार्ड को घेरा डाँटा। बैलूनों के पैसे देने को कहा । दूसरा मेन मुच्छड़ गार्ड आकर हम पर रौब चलाने लगा कि इन बच्चियों को बाहर बर्गर दे दो , भीतर क्यों बुलाया। ये बच्चियां बदमाश हैं, पत्थर फेंकती हैं ग्राहकों पर। भीतर आती हैं। गालियां देती हैं।
वहां खड़े कॉलेज के लड़के बोले, हम रोज आते हैं हमने इन बच्चियों को कभी पत्थर फेंकते गाली देते नहीं सुना।
बच्चियां बोली, ये गार्ड जिसने बैलून फोड़े हमसे तंबाकू खाने के पैसे लेता है। डंडे से मारता है।आंधे घंटे तक काफी झगड़ा हुआ। मैंने उन बच्चियों को उनके बचे बर्गर और फूटे बैलूनों का पैसा दिया और हम पार्किंग से गाड़ी लेकर बाहर निकले तो मुच्छड़ गार्ड वहां खड़ा था। गाड़ी का नंबर नोट करने और हमारी कम्प्लेन करके, गेट बंद करके रखा था। रात के पौने ग्यारह बजे थे। अब अंशु बहुत गुस्से में थे
पास के थाने से बीट इंचार्ज आया। हमने उसे पूरी कहानी बताई। अब तक अंशु ने अपनी रैंक भी नहीं बताई थी, अब उन्होंने अपना आई डी कार्ड निकाला और पूरी कहानी सुनाई।
” मैं उन बच्चियों के पैसे दे रहा हूं, उन्हें मैकडॉनाल्ड में बिठा कर खिलाने का हक है मेरा। वो भी इस आजाद भारत की संतानें हैं। मैं उनको बाहर बर्गर देकर भीख नहीं, साथ बिठा कर खिलाना चाहता था। और उनके जेब में पैसे हैं तो वो मॉल में भी घुसेंगीं। कोई रोक नहीं सकता।”
वो भला बंदा था। उसने अंशु को सैल्यूट किया और डीडी मॉल का एग्जिट गेट खोला गया। तब तक मैं हताश हो गई कि उन गरीब बच्चियों के लिए कुछ करना मेरे लिए भारी पड़ गया तो वो रोज़ क्या झेलती होंगी? या अब वो गार्ड उनको और तंग न करें?मैं पूरे रास्ते आँसुओं में थी। घर आकर पहला काम यह पोस्ट लिखने का कर रही हूं जबकि कल सुबह मुझे भोपाल जाना है। दिल बुरी तरह दुखा हुआ है। कि वो बच्चियां चैन से मैकडॉनाल्ड के भीतर बैठ कर बर्गर न खा सकीं। उनके बैलून फोड़ दिए गए।
इसे मेरा नाम पताहटा कर छाप सकें तो छापें। ऐसे मॉल की सिक्योरिटी अमानवीयता सामने आए। ये इन बच्चियों को कैसे प्रताड़ित करते हैं। ऐसे मैकडॉनाल्ड में तो मैं अब कभी न जाऊं। जहां मेरे देश , मेरे शहर की गरीब बच्चियां भीतर बैठ कर खा न सकती हों।
These kinds of shameful and disgusting incidents are definitely not acceptable and serious steps should be taken to stop them from happening again and again. What do you say?
What do you say about this disgusting incident? Let us know your views in the comments below